✴️मेसोपोटामिया की सभ्यता✴️

हमने पिछले अध्याय में नील नदी घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से बड़ा अब हम मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में विस्तार से पड़ेंगे यह सभी एग्जाम के के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है।
विश्व के सभी प्राचीन सभ्यता किसी ना किसी नदी के किनारे स्थित रही है उसी प्रकार  मेसोपोटामिया की सभ्यता भी दो नदियों के बीच में फली फूली वह दो नदियां है दजला एवं फरात नदी।हर्निया के पुत्री पहाड़ी से दजला नदी निकलती है दजला नदी को आजकल टायरइस नदी के नाम से जानते हैं तथा फरात  नदी काकेशिया के दक्षिणी पहाड़ी से निकलती है जबकि इस नदी को आजकल यूकेडीजा के नाम से जाना जाता है। यह सभ्यता इन दोनों नदी के बीच में स्थित था।
#:- दो शब्दों के मेल से बनता है।   मेसो=इसका शाब्दिक अर्थ होता है मध्य।    पोटामिया=इसका शाब्दिक अर्थ होता है नदी।प्रसाद मिश्र कोटा मियां का शाब्दिक अर्थ होता है दो नदियों के बीच की भूमि। आज हम इन दोनों नदियों के बीच की भूमि को इराक के नाम से जानते हैं। 
इतिहासकार हीरो डॉटर्स नेम किस क्षेत्र को आदम का बाग कहा है तथा ओल्ड स्टेटमेंट ने इसे गार्डन ऑफ इंडियन कहां है। यूरोप के विद्वानों नेेे किस क्षेत्र को अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे। हालांकििि मेसोपोटामिया वाले क्षेत्र अलग-अलग समय में चार सभ्यताएं विकसित हुई थी और इन चारों सभ्यता के सम्मिलित रूप को हम मेसोपोटामििया की सभ्यता के नाम से जानतेे हैं। मेसोपोटामियााा के चारों सभ्यता का नाम इस प्रकार है।
1 सुमेरियन सभ्यता     (3500-2200 ईसा पूर्व  तक)
2 बेबीलोनियन सभ्यता (22O0 से 1100 ईसा पूर्व तक)
3 असीरियन सभ्यता    (1100-612 ईसा पूर्व तक)
4 कैलेडियम सभ्यता    (625 से 539 ईसा पूर्व  तक)
#:-प्रारंभ में चारों सभ्यता के पूर्वज मेसोपोटामिया की क्षेत्र में एक कबीले के तरह अलग-अलग जगह पर बसे थे जिसे जिसे मनुष्य ने विकसित करना आरंभ किया वैसे वैसे मेसोपोटामिया के क्षेत्र में एक सभ्यता का रूप लेना भी प्रारंभ कर दिया और इन चारों सभ्यताओं के बीच में संघर्ष होती है जिसके कारण एक सभ्यता दूसरी सभ्यता कॉल करके अपनी सभ्यता को स्थापित करता है। इसी बीच कई विदेशी आक्रमणकारी भी आए और कभी ले वाले के साथ मिलकर एक दूसरे को हराने की प्रयास करते रहे कभी हार जाते ऐसा ही संघर्ष के कारण नए-नए वंश एवं सभ्यता का नाश हुआ और उदय भी होता है
#:-लेकिन प्रारंभ में सभी कबीले वाले मिलकर राजा का चुनाव करते थे लेकिन प्रारंभ से सभी कबीले वाले में धार्मिक मतभेद होता था जिसके कारण कबीले वाले एक दूसरे से लड़ जाते थे लेकिन सातवीं शताब्दी को मुसलमानों ने इन क्षेत्रों पर अपना अधिकार किया और सभी प्राचीन साक्ष्यों को नष्ट कर दिया इस क्षेत्र का नाम आजकल ईरान रखा गया है और इरान का अर्थ किनारा होता है ईरान अरबी शब्द है।
NOTE#:- अब हम मेसोपोटामिया के सभी सभ्यता के बारे में विस्तार से बढ़ते हैंयह है मेसोपोटामिया सभ्यता की भौगोलिक स्थिति जो कि आपको पहले भी एक मानचित्र में दिया गया है।
चारों सभ्यताओं में सबसे समृद्ध तथा सबसे बड़ा एवं सबसे ज्यादा प्रसिद्ध बीवी लियोन की सभ्यता हुई हालांकि क्षेत्रफल की दृष्टि में यह सबसे समृद्ध थे क्योंकि बेबीलोन की सभ्यता बहुत ही उपजाऊ जगह पर स्थित थे। लेकिन सबसे मेहन संघर्षशील एवं बलवान तथा बुद्धिमान लोग सुमेरियन सभ्यता के लोग होते थे क्योंकि यहां पर जैसी भौगोलिक स्थिति थी उसके अनुसार सुमेरियन सभ्यता के लोग जितना मेहनत करते थे उससे कम फल मिलता था इस तरह से सुमिरन सभ्यता के लोग संघर्षशील हो चुके थे। सुमेरियन सभ्यता स्थित तो था नदी के किनारे लेकिन यहां पर अधिकतर चट्टाने ही चट्टाने थी उपजाऊ जमीन होने के बाद भी चट्टाने के कारण फसल कम होता था। ताकि सुमेरियन सभ्यता के लोग संघर्षशील बुद्धिमान मेहनती बलवान एवं इसमें योग्यता सबसे अधिक थी इस कारण सुमेरियन सभ्यता के लोग सबसे पहले प्रशासनिक एवं राजनीतिक सेवा में आए और इसने सबसे पहले सभ्यता का निर्माण किया इस कारण से सुमेरियन सभ्यता का निर्माण मेसोपोटामिया सभ्यता में सबसे पहले होता है। इतिहासकारों का मानना है कि सुमेरियन सभ्यता 3500 ईसा पूर्व उदय हो चुकी थी। सुमेरिया में सभ्यता के उदय से पहले लोग कबीले के रूप में रहा करते थे और सुमेरिया तथा बेबिलोनिया कबीले के लोगों के बीच लड़ाइयां हो जाते थे हालांकि सभी कबीले के लोग आपस में लड़ते थे लेकिन इन दोनों कबीले का संघर्ष सबसे अधिक होता था।

✳️बेबीलोनियन सभ्यता के लोग इतनी ज्यादा संघर्षशील मेहनती बलवान एवं बुद्धिमान नहीं थे और इन लोगों ने अपनी बुद्धि बाल का प्रयोग करना भी जरूरी नहीं समझा क्योंकि इन लोगों को आवश्यकता की सभी जरूरी चीजें आसानी से मिल जाती थी क्योंकि इनकी भौगोलिक स्थिति बहुत अच्छी थी इसलिए इन्हें कम मेहनत करने पर भी फल अधिक मिलता   था। बेबीलोन सभ्यता के लोग अधिक विकसित नहीं हो पाए इसका दूसरा कारण यह है कि यहां पर  तीन कबीले वाले रहते थे जोकि बहुत अधिक धार्मिक कट्टरता थे और इनके देवी देवताओं में काफी मतभेद होता था इस कारण यह हमेशा लड़ते रहते थे और अपने देवी-देवताओं को श्रेष्ठ घोषित करने के लिए संघर्ष करते थे इसमें से पाली जाती थी और इस समय मेसोपोटामिया की सभ्यता में अलग-अलग जाति का अपना अलग कविला होता था इसलिए प्रजाति का मतलब आप एक कबीला भी समझ सकते हैं।
1 सोमेटिक प्रजाति  (कबीला) (2) अल्पाइन प्रजाति (कबीला) 3 इसीन प्रजाति (कबीला)
➡️सोमेटिक प्रजाति#:-यह प्रजाति बेबिलोनिया के उत्तरी भाग में रहते थे इस जगह का नाम अकाद  था। इस कारण सोमेटिक प्रजाति को आकादियन प्रजाति भी कहा जाता है।
➡️अल्पाइन प्रजाति#:-यह प्रजाति बेबीलोन के दक्षिणी भाग में बसे थे और इस भाग को सुमुरा कहां जाता 
✴️इसीन प्रजाति (कबीला)➖ यह कबीला  सोमेटिक प्रजाति तथा अल्पाइन प्रजाति दोनों कबीले के बीच में था। कभी कभी दोनों के साथ इसे संघर्ष करना पड़ता था।
➡️ सात अल अरब मैदान#:-प्राचीन काल में दजला तथा फरात नदी दोनों के बीच में फारस की खाड़ी पर अलग-अलग स्थान पर दोनों नदियां गिरती थी इस कारण दोनों नदी के मुहाने पर काफी लंबी दूरी तक मिट्टी एवं कीचड़ इकट्ठा हो जाते थे परिणाम स्वरुप दोनों नदी के बीच 300 मील लंबा मैदान बंद गया था इस मैदान को ही सात अल अरब का मैदान कहा जाता है! जैसे कि हम जानते हैं मेसोपोटामिया की सभ्यता में सबसे पहले सुमेरियन सभ्यता का उदय होता है लेकिन इसके बाद बेबी लियोन सभ्यता का आरंभ होता है लेकिन बेबी नेम सविता के तीनों प्रजातियों के कबीले के लोग आपस में बहुत ज्यादा लड़ाई करते थे इस कारण सभ्यता में धीमी गति से विकसित होती है बेबीलोनियन सभ्यता का उदय 21वी शताब्दी ईसा पूर्व होती है। सुमेरियन सभ्यता को जानने से पहले थोड़ी सी जानकारी बेबीलोन सभ्यता के इन तीनों प्रजातियों तथा कबीले वालों के बीच में जान लेते हैं इसके बाद सुमेरियन सभ्यता को विस्तार से पड़ेंगे।

✴️ सोमाइट प्रजाती(अल्काद)➖ यह बेबिलोनिया के दोनों प्रजातियों को हरा कर सुमेरियन सभ्यता के लोगों से युद्ध करता है और सुमेरियन सभ्यता लोगों को पराजित कर अपनी सभ्यता को स्थापित करता है। यह काफिला बेबिलोनिया के उत्तर दिशा में बसे थे। जब यह कबीले वाले शक्तिशाली हुए तो इस इस प्रजाति को हरा कर बीचोबीच बसना चाहते थे क्योंकि यह प्रजाति बीच में थी इसके बाद अल्पाइन प्रजाति का कबीला था।
,✴️अल्पाइन प्रजाति (कबिला)➖ यह कबीले वाले बेबिलोनिया के दक्षिणी भाग में रहते थे और यह प्रजाति भी चाहते थे कि इस न तथा सोमेटिक प्रजाति को हराकर अपना सभ्यता को स्थापित किया जाए। इस कारण  ईसिन प्रजाति के लोग कभी इधर कभी उधर हाथ मिला लेते थे । ओर  मिलाकर दोस्ती करके अपनी शक्ति को बढ़ाया करते थे।
✴️इसीन प्रजाति (कबीला)➖ इस कविता के लोग स्वतंत्र रहना चाहते थे और अपना सभ्यता के बारे में नहीं सोचते थे लेकिन अपने दोनों तरफ के खतरे को देखकर छोटे-छोटे कबीले वाले तथा छोटे-छोटे प्रजातियों को मिलाकर संधि कर लिया और एक संगठन का निर्माण हो गया इस संगठन को एलमी कहा जाता था। एलमीयों ने युद्ध के लिए सबसे ऊंचाई क्षेत्र में अपना केंद्र स्थापित किया इस क्षेत्र को  लारसा कहा जाता था।और यह योजना उन दोनों प्रजातियों को हराने के लिए बनाया गया था जो कि इनके दोनों तरफ बसे हुए थे। इस प्रकार इन तीनों पर जातियों के संघर्ष के कालखंड को बेबीलोनियन सभ्यता के लिए संघर्ष का युग कहा जाता है । जब यह संघर्षष समाप्त हो जाता है तो तीनों मिलकर संधि करके एक संगठन बनाते हैं इसके बाद इस संगठन के माध्यम से सुमेरियन सभ्यता को हराकर बेबीलोनियन सभ्यताा की स्थापना करते हैं। इसके बाद हम मेसोपोटामिया के सुमेरियन सभ्यता को विस्तार सेेे पढ़ते हैं। हालांकि संधि के बाद भी इन लोगों के बीच में धार्मिक मतभेद चलते ही रहता है और छोटी मोटी लड़ाई होती रहती है।
        
                   ✴️   सुमेरियन सभ्यता ✴️
मेसोपोटामिया में सबसे पहले इसी सभ्यता का उदय हुआ। मेसोपोटामिया के क्षेत्र में अनेक प्रजातियां रहते थे जिसका अपना अपना करीला था और सभी प्रजातियां का एक अपना अनिश्चित जगह तथा नाम भी होता था । जिसे हम कबीला कहते हैं। कबीलो का नाम जाति आस्थान तथा उसके विशेषता के आधार पर दिया जाता था।
हम जानते हैं कि पूरे मेसोपोटामिया की सभ्यता में कूल 4 प्रजातियां एवं कबीले वाले नहीं अपनी सभ्यता स्थापित की और इस सभ्यता के नाम हम इससे पहले पढ़ चुके हैं। सबसे पहले सुमेरियन सभ्यता प्रसिद्ध हुई इसके बाद बेबीलोनियन सभ्यता का उदय होता है फिर इसके बाद असीरियन सभ्यता का उदय होता है और फिर अंत में केलेडोनियन सभ्यता की स्थापना होती है और इस प्रकार चार सभ्यताएं मेसोपोटामिया पर स्थापित हुए । इसके बाद इसका अंत हो जाता है।
✳️मेसोपोटामिया के संस्कृति का उदय सर्वप्रथम सुमेरिया से हुआ क्योंकि यहां के प्रजाति काफी संघर्षसील बुद्धिमान एवं मेहनती थे । सबसे पहले कबीले वालों के बीच में राजा बनने के लिए प्रतियोगिता होता था जिसमें कबीले वाले के पहलवान एवं बुद्धिमान मजबूत लोग आपस में प्रतियोगी  युद्ध लड़ते थे । और जो जीता था वह राजा बनता था। इसके बाद अगर कोई दूसरा व्यक्ति पहले के शासक को चुनौती देता और चुनौती देकर हराता तो वह राजा बन सकता था लेकिन अगर ऐसा नहीं होता था तो राजा का पुत्र ही राजा बनता था। और एक राजा बनने के इस नियम पर सर्वसम्मति होती थी और इस प्रकार कबीले वाले अपने शासक की चुनाव करते थे । सबसे पहले पूरे मेसोपोटामिया पर शासन करने वाले भी सुमेरिया के ही लोग थे। सुमेरिया के वासी को सभी कबीले वाले ने सबसे पहले सर्वसम्मति से राजा चुना था। क्योंकि इन लोगों में लोगों को समझाने तथा प्रशासन करने की समझ थी । और यह लोग संघर्षशील एवं ताकतवर भी थे। और यह सबसे बुद्धिमान थे। सभी कवियों वालों ने अपनी शक्ति शासक पर समर्पित कर दिया और एकत्र होकर रहने की संकल्प से राजा का चुनाव हुआ था लेकिन कबीले वालों के धार्मिक मतभेद आपस में चलते ही रहे।
✳️हालांकि इस समय कोई सामंत नहीं होता था तथा अपनी प्रशासन को चलाने के लिए शासक अपने इच्छा से किसी भी व्यक्ति से सहयोग ले सकता था। और शासक के सहयोगी भी निश्चित नहीं होते थे क्योंकि राजा किसी भी व्यक्ति को वेतन नहीं देता था इसका कारण यह था कि कभी ले वाले अपनी इच्छा के अनुसार राजा राजा को कर दिया करते थे कर देने की राशि भी निश्चित नहीं थी। इसके बाद सभी कबीले वाले के धर्म तथा धार्मिक मान्यताएं अलग अलग होने के कारण छोटी मोटी लड़ाइयां होती रहती थी जिस कारण से कविले वाले के बीच में मतभेद हो जाता था और मतभेद को सुलझा ने तथा न्याय करने की शक्ति राजा के पास होता था और इसके बदले में राजा को कबीले वाले कर दिया करते थे। लेकिन जब शासक के कबीले वाले के साथ कभी किसी कवि ने वाले का लड़ाई हो जाती थी तो कबीले वाले कर नहीं देते थे।
✳️लेकिन नियम के अनुसार सुमेरियन सभ्यता के लोगों को किसी अन्य लोगों ने हरा क शासक के पद को हासिल नहीं कर पाने के कारण सुमेरियन सभ्यता काफी दिनों तक रहा और यह बहुत ज्यादा समृद्ध हो चुका था और अन्य कबीले वालों को अपने अंत समय में जबरन कर रोने लगा क्योंकि स्वेच्छा से कर बहुत कम लोग देते थे इसके बाद धीरे धीरे इस सभ्यता के लोगों ने अपने शक्ति से राजतंत्र को स्थापित कर दिया। और इसके बाद यहां के लोग वंशवाद पर विश्वास करने लगे थे और वंशवाद की प्रचलन की प्रथा आरंभ हो गई। सुमेरियन सभ्यता के लोग अपने शक्ति का प्रयोग करके अत्याचार एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते गए। इसके बाद बेबिलोनिया सभ्यता का उदय होता है क्योंकि अत्याचार एवं भ्रष्टाचार के कारण इस सभ्यता के लोग हमेशा अपनी घमंड एवं शक्ति का प्रदर्शन करते थे अंत में 2200 ईशा पूर्व को इस सभ्यता को बेबीलोनियन लोगों ने समाप्त करके अपनी सभ्यता को स्थापित किया हालांकि बेबीलोनियन सभ्यता के बारे में हम अगले क्लास में देखेंगे। जैसे कि हम जानते हैं सुमेरियन सभ्यता के अंत के बाद बेबीलोनियन सभ्यता प्रारंभ होता है और बेबिलोनिया सभ्यता का प्रारंभ अपने स्थानीय प्रजाति के संगठन के निर्माण के कारण हुआ था लेकिन यह संगठन तो निर्मित हो जाता है और दे बेबीलोनियन सभ्यता के लोग मजबूत हो जाते हैं और सभ्यता का निर्माण भी कर लेते हैं लेकिन फिर भी धार्मिक लड़ाइयां होती रहती है और मतभेद होता ही रहता है। बेबीलोनियन सभ्यता की बात अभी हम नहीं करेंगे अगली क्लास में करेंगे।
✳️इसी बीच सुमेरिया में कला संस्कृति के क्षेत्र में बहुत ज्यादा विकास होता है और सुमेरिया वासी कला के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं कला का प्रयोग मनोरंजन के संसाधन के रूप में करने लगते हैं और हम कह सकते हैं कि सुमेरिया के लोगों से मेसोपोटामिया में कला एवं संस्कृति का विकास होता है सुमेरिया का शाब्दिक अर्थ होता है सरकंडे क्षेत्र । मेसोपोटामिया एवं सुमेरिया सभ्यता का सबसे पहला शासक का नाम निम्पुर था। हालांकि इसका वास्तविक नाम निम्पुर नहीं था यह नियम पूर्ण कबीला के होने के कारण इसका नाम निमपुर रखा गया था क्योंकि सबसे पहले प्रतियोगिता में जितने वाला यही था जिसे लोगों ने अपना शासक माना। निम्पुर इसका नाम कबीली वाले के नाम पर पड़ा था। इस प्रकार सुमेरिया के अनेक शासक हुए जिसका नाम तथा कबीला का नाम समान था ।और उसका प्रमाण इतिहासकारों के किताब एवं साक्ष्यों के आधार पर मिलता है। ✳️कुछ महत्वपूर्ण राजाओं के नाम इस प्रकार है किसा ,कुथा  सिंघार, सिपार, ऑपीस, एरकी ,लारसा नियिल ,ऊर एरीडी ,लंगास  शादी थे। कविता तथा शासक का नाम समान होने के कारण हमारे इतिहासकारों ने अनुमान लगाया कि शासकों का नाम अपने कबीले के नाम पर ही कबीले वाले ने रखा होगा। अपने कबीले के अलावा दूसरे कवि लोग को स्थानीय लोग विदेशी कविला कहते थे सुमेरिया के लोग राजा को पटेसी या लुगल कहते थे बट ए सी का मतलब होता है देवता का प्रतिनिधि 

✳️ एनसी➖मंदिरों के प्रधान पुरोहित को एनसी कहा जाता था और सुमेरियन वासी पुरोहित को देवता का दूध मानते थे
✳️ सरगोन प्रथम➖ यह सुमेरियन सभ्यता का महान शासक है जो कि 28 ईसा पूर्व में अपना सत्ता को ग्रहण करता है यह वीर बुद्धिमान साहसी एवं विद्वान शासक था। इसको भारत के शासक चंद्रगुप्त मौर्य के समकालीन माना जाता है।बेबीलोन के वासी इसको मैनेज के नाम से जानते थे इसको राष्ट्रवीर भी कहा जाता है । इसने सबसे पहले कानून तथा धर्म के नियम के लिए एक अभिलेख लिखवाए और यह अभिलेख एक मंदिर में अंकित करवाया था। इसके बाद इस मंदिर के अभिलेख को असीरियन सभ्यता के सम्राट अश्वनी पाल की आज्ञा से भोजपत्र में कोई प्रतिलिपि में बनाई गई थी यह अभिलेख लगभग 2800 ईसा पूर्व की है। निखिल भोज पत्र में अंकित इसकी प्रतिलिपि या 1000 ईसा पूर्व की है
सुमिरन सभ्यता के अनेक शासक हुए परंतु कबीले की आपसी लड़ाई तथा विदेशी आक्रांता ओं के कारण साक्ष नष्ट होते गए हैं और जो कुछ भी बचा था वह सब सातवीं शताब्दी को मुस्लिम आक्रांता उन्हें नष्ट कर दिया।
लेकिन सुमेरिया सभ्यता के पूरी कबीले के राजा दूंगी के बारे में जानकारी मिलती है दूंगी को सुलगी के नाम से भी जानते थे यह 2450 ईसा पूर्व से 2400 BC तक शासन करते हैं यह एक साम्राज्यवादी राजा था। जिसने अपना साम्राज्य सुमेरिया से बेबिलोनिया तक फैलाया और बेबिलोनिया के लड़ाकु प्रजाति अल्पाइन तथा सोमाइट प्रजाति को भी इस ने हराया और अधीनता स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया।
✳️बेबिलोनिया के प्रजापति एवं कबीले लोग लड़ते-लड़ते इतने कमजोर हो गए थे कि बाहरी आक्रमण का सामना करने की हिम्मत इन लोगों में नहीं थी इसका फायदा सुमेरियन सभ्यता के राजा दूंगी ने उठाया था। इसके बाद दूंगी नहीं पूरे मेसोपोटामिया को एकीकृत करने का का उपदेश से लड़ाई करने लगा और पूरे बेबीलियोन के सम्राट अपने आप को घोषित कर दिया। इसके अलावा बेबीलोनिया में दो और जनजाति (कबीला) रहते थे। जो कि अल्पसंख्यक थे लेकिन दूंगी के साथ लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी 1 कसाइट जनजाति एवं 2 - एमराईट जनजाति । बारे में हम भी बिलोनिया की सभ्यता के बारे में जब पड़ेंगे तो विस्तार से देखेंगे।
दूंगी एक अच्छा सा शक था इसको सुमेरियन की जनता बहुत चाहती दे दूंगी के शासनकाल को पुनर्जागरण का कालखंड के प्रतीक के रूप में इतिहासकार मानते हैं दूंगी ने समस्त बेबी लोन पर अधिकार कर लिया और ऐसा करने वाला पहला शासक था जिसने युद्ध करके बेबी लोन को जीता था हालांकि सुमेरियन सभ्यता के आरंभ में सुमेरिया बेबीलोन असीरिया तथा  केलेडियमन सभ्यता वाले पूरा क्षेत्र के लोगों का शासन सुनेरिया के शासकों के पास था लेकिन उस समय प्रतियोगिता के माध्यम से चुनकर आए शासकों ने सर्वसम्मति से शासन किया था। लेकिन बाद में सुमेरियन वासी की अत्याचार एवं घमंड के कारण सभी कबीले वाले नहीं सर्वसम्मति से एवं प्रतियोगिता के माध्यम से राजा बनाना छोड़ दिया और अपना स्वतंत्र रूप से रहने लगे और राजा को कर भी नहीं देते थे। इसी कारण बल बुद्धि एवं शक्ति का प्रयोग करके सुमेरियन वासी कबीले वालों पर अधिकार जताने लगे।
और किसी बल बुद्धि एवं शक्ति का प्रयोग करके दूंगी ने पूरे बेबिलोनिया को अपने कब्जे में कर लिया और वहां का अपने आप को राजा घोषित कर दिया। दूंगी के पिता का नाम  उर एगूर (उरी न्नमु) था।दूंगी के पिता ने ही बेबी सुनीता को बनाया था हालांकि इस विधि संहिता के प्रमुख संस्थापक दूंगी को ही माना जाता है। दूंगी नहीं बेबीलोनिया को जीतकर अकाद एवं सुमेरिया की पदवी भी धारण किया था। दूंगी बेबीलोनिया एवं सुमेरिया के राजा होने के साथ-साथ अपने पिता के विधि संहीता के कारण भी बहुत अधिक प्रसिद्ध हुआ था। इसके विधि संहीता को सबसे प्राचीन विधि संहीता माना जात है। बाद में बेेबिलोनिया सभ्यता कैसा शक हम्मूराबीीी की विधी संहीता मिलती है और यह विधि संहीता सु-संगठित एवं विधि पूर्वक लिखी गई सबसे प्राचीन विधि संहिता होती है।
हाला की सबसे प्राचीन विधि संहिता दूंगी के पिता के संहिता को ही माना जाता है लेकिन तू संगठित एवं विधिवत ना होने के कारण इसे हम्मूराबी की विधि संहिता से कम मायनेता दी जाती है।दूंगी की मृत्यु के बाद बेबीलोनियन सभ्यता धीरे-धीरे पतन होने लगता है क्योंकि इसने कबीले वालों को जीता और जबरन अपना कानून सौंप दिया थादूंगी के मृत्यु के बाद बेबीलोनियन तथा सुमेरियन के कबीले वाले भी स्वतंत्र होने लगे और धीरे-धीरे लड़ाइयां होने लगी और सभी कबीले वाले आजाद हो गए।दूंगी ही एक ऐसा शासक था जिसने सुमेरियन सभ्यता को संगठित किया तथा एकीकृत किया इसके बाद धीरे-धीरे सुमेरियन सभ्यता पतन के तरफ बढ़ने लगती है। इसके बाद 2200 BC  को दूंगी ने एलम कबीले में सुमेरिया सभ्यता पर आक्रमण करते हैं और आक्रमण करके एलम कबीले वालों ने दूंगी के राजवंश को समाप्त कर देते हैं और शासक के परिवार एवं शासकों को बंदी बनाकर अपने कैद में रख लेते हैं।। दूंगी जिस कबीले से था उसका वेली वाले का नाम उर कबीला था और एलेन कबीले वाले ने और कबीले वाले को नष्ट कर दिया। इसके पिता का नाम भी कबीले के नाम पर ही रखा गया था। एवं जनजाति बेबीलोनिया के क्षेत्र से आए थे और ऐलान एक प्रकार का जातियों की संगठन थी जिसने सुमेरियन सभ्यता को समाप्त कर दिया इसके बाद धीरे धीरे पूर्ण रूप से सुमेरियन सभ्यता समाप्त हो जाती है और बेबिलोनिया सभ्यता का उदय होता है।




🔯 सुमेरियन सभ्यता की कानून तथा सामाजिक व्यवस्था 🔯

➡️विश्व की सबसे प्राचीन कानून की ग्रंथ सुमेरियन सभ्यता से ही निर्मित हुई है। जिसमें से दूंगी के पिता उरी न्नमी द्वारा निर्माण किया गया था जिसको दूंगी ने भी कुछ बदलाव किया। दूंगी के पिता तीसरे राजवंश के संस्थापक थे और दूंगी के पास अपने द्वारा निर्मित विधि संहिता विरासत में छोड़ कर चले गए।
दूंगी ने अपने पिता के द्वारा निर्मित विधि संहिता को पूरे मेसोपोटामिया में फैलाया था तथा इसमें कुछ बदलाव भी किए थे। इसलिए इसे विधि संहिता के वास्तविक संस्थापक लिखा जाता है सुमेरियन की विधि संहिता से पता चलता है कि यहां साठे साठेय  समाचारित्रा का  का नियम लागू इसका मतलब होता है कि जैसेेे को तैसा। जैसे क
➡️किसी मुजरिम नहीं किसी का आंख फोड़ दिया तो  आख के बदले मुजरिम का भी आंख फोड़ देते थे । इस प्रकार
 कान के बदले कान, हत्या के बदले हत्या, दास की हत्या के बदले दास की हत्या, पुत्र की हत्या के बदले पुत्र की हत्या, यानी हम  सकते हैं। की जैसे को तैसा का कानून चलता था सजा में कमी अथवा क्षमा वही कर सकता था जिसने न्याय के लिए अर्जी लगाई हो और राजा की आज्ञा से सजा भी वही बत्ती देता था। न्याय करने का काम पुजारी करता था लेकिन सजा की आज्ञा राजा देता था और सजा अपराधी को अर्जी लगाने वाला देता था यह कानून समाज के सभी वर्गों के लिए सामान नहीं था उच्च वर्ग तथा सांसद के वर्ग एवं सभी संबंधी को सजा नहीं के बराबर होती थी अर्थात कानून में भेदभाव की भावना थी।
➡️सुमेरियन सभ्यता का व्यवसाय :-यहां के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन था। यहां के लोग कृषि में गेहूं जो खजूर आदि की कृषि प्रमुख रूप से क्या करते थे।
सुमेरियन सभ्यता के लोग खजूर के पेड़ को जीवन वृक्ष करते थे क्योंकि खजूर के पेड़ से सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ एवं सुख सुविधा की वस्तुएं बनाई जाती थी जैसे की खजूर की आटा, रोटी, चीनी , तथा पीने के लिए शराब भी खजूर के बनाते थे। इसके अलावा खजूर के गुठलियों के इंधन ,खजूर के पेड़ की छाल के रस्सी, तथा पत्ते से टोकरिया बनाई जाती थी
➡️ सुमेरियन वासी अपनी खेती की सिंचाई के लिए नदी पर निर्भर रहते थे यह लोग नदी से नहार तथा नहरों से नालियों बनाकर खेतों तब पानी सिंचाई के लिए ले आते थे।
1950 को ईरान के निपपुर से सुमेरियन कालीन अभिलेख (पंचांग) पाया गया है विश्व का प्रथम कृषि पंचांग है। इस कृषि पंचांग में एक पिता अपने पुत्र को किसी की शिक्षा देते हुए समझा रहा है की बाढ़ के आने से लेकर फसल की कटाई तक क्या-क्या करना चाहिए और किन किन उपायों से अपने पैदावार बढ़ाया जा सकता है इनकी शिक्षा दे रहा है।
➡️ सुमेरियन सभ्यता का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन की रहा है सुमेरियन वासी का आय का दूसरा प्रमुख स्रोत पशुपालन था यह लोग भेड़ बकरी गाय बैल गधे खच्चर आदि जानवरों को पालते थे और इससे इनकी हाय होती थी तथा मांस की खाद्य आपूर्ति भी हो जाती थी यह लोग घोड़े और ऊठ बारे नहीं में नहीं जानते थे।
सुमेरियन वासी हल चलाने के लिए बैल का प्रयोग करते थे तथा पहिएदार गाड़ी को खींचने के लिए गधा एवं खच्चर का प्रयोग करते थे।
➡️ उद्योग धंधे:-इतिहासकारों का मानना है कि सबसे पहले प्रयोग उद्योग धातु का उपकरण इन्हीं लोगों ने बनाया गया था। यह लोग उद्योग धंधे के रूप में तांबा ,सोना ,चांदी ,सिसा जैसे महत्वपूर्ण एवं बहुमूल्य धातुओं के बारे में जानते थे इन लोगों का सबसे प्रमुख उद्योग धंदा हथियार बनाना था।
सुमेरियन वासियों का द्वितीय उद्योग धंधा कपड़ा बनाना इसके अलावा रथ बनाना ,पहिया, बर्तन आभूषण बनाना,आदि बनाकर अपने उद्योग धंधे को चलाते थे।
भारी वस्तु को ढोने के लिए सबसे पहले पहिए का प्रयोग सुमेरियन वासियों ने प्रारंभ किया था यहां के लोग विनिमय के लिए वस्तुओं का स्थान पर चांदी के टुकड़े का प्रयोग करते थे यह चांदी के टुकड़े को बेलनाकार बनाकर प्रयोग करते थे जिसे हम एक प्रकार का सिक्का अर्थात मोहरा भी कर सकते हैं। ➡️सुमेरिया में सिंधु घाटी सभ्यता के सिक्के मिले हैं इससे पता चलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन सुमेरिया सभ्यता है तथा दोनों का आपस में व्यापारिक संबंध रहा होगा।
            
       ✴️सुमेरियन सभ्यता के धार्मिक स्थिति✴️
सुमेरिया सभ्यता में देवता एवं मंदिरों का बहुत महत्व था प्रत्येक नगर में एक प्रमुख मंदिर होता था। और उस मंदिर में एक पुरोहित होता था और वह पुरोहित उस नगर के धार्मिक आर्थिक तथा राजनीतिक मामले को नियंत्रण करता था इस प्रकार प्रत्येक नगर में एक मंदिर होता था जहां का पुजारी नगरों के शासन एवं न्यायिक प्रतिक्रिया को देखता था और राजा के प्रतिनिधित्व करता था हालांकि नगर के मंदिरों के पुरोहित अपने परिवार के सदस्यों को अगला पुरोहित बनने का अधिकार देता था यानी हम कह सकते हैं कि मंदिरों में वंशवाद की परंपरा चलती थी जिसमें नगर का पुरोहित के परिवार के ही सदस्य अगला पुरोहित बन सकता था।
प्रत्येक नगर एवं कबीले का अपना अलग-अलग मंदिर एवं देवता होता था जैसा कि हमने नील नदी घाटी सभ्यता में देखा था कि सभी कबीले वाले के देवता एवं धर्म अलग होते थे। नगर एवं कबीला में सिर्फ इतना फर्क है कि जब कबीले वाले लोग अपने आप को विकसित कर लेते थे तथा उसकी आर्थिक स्थिति सुधर जाती थी तो उसे हम नगर करते थे। जैसा कि आज अगर किसी गांव की आर्थिक स्थिति सुधर जाए पता लोग विकसित कर ले तो उसे हम शहर करते हैं। सुमेरिया के कुछ प्रमुख नगर एवं देवता के नाम इस प्रकार हैं।
➡️ पूर्व नगर का देवता➖ सीन (चंद्र) देवता था!
➡️लालसा नगर का देवता➖सोमस सूर्य देवता था
➡️नूपुर नगर का देवता➖ एलीन देवता थे यह तूफान के                                               देवता थे।   


➡️अरक नगर का देवता➖ईस्तर देवी थी यह रक्षा की देवी थी
इसके अलावा कुछ अन्य नगरों के अन्य नेता भी थे जो कि मेरे निवासी उसके थे जैसे, एनकी➖जल का देवता था, इथा नीति एवं आचरण देबता था।, एनकििदू➖किसानों का देवता था, एनकीडू ➖ वायु एवं तूफान का देवता थे।, इन्ना➖ प्रेम की देवी थी,  तीमुजी➖ गडरिया का देवता था
 अन देवता ➖ इस डाटा को सुमेरा या वासी देवताओं के देवता मानते थे। 30BC  तक अन देवता की महत्वता समाप्त हो गई थी और अब वायु और तूफान का देवता एनिल देवता की महत्वता मैं वृद्धिििि हो चुकी की थीं। इसके बाद जैसे-जैसे समय बीततााा जाता है इनकी भी महत्वता खत्मम होती है और मर्दूक देवता की प्रसिद्धिि बढ़ती जाती है।
अनु देवता का पुत्र एनकी था इनकी जल का देता था तथा अपने पिता का सहायक  भी था। सुमेरिया के लोगों का मानना था कि एनकी देवता, एनिलिना देवता के निर्णय को कार्यान्वित करता है
➡️ प्रेम की देवी देवी इन्ना देवी देवताओं के सभा में और एनिल तथा एनीलिंग देवता के बीच बैठती थी इसलिए इसको देवी को रानी तथा भाग्य  विधत्री कहा जाता है
बेबीलोनियन के सेमाइट प्रजाति के लोग ईना देवी को  ईस्तर देवी के नाम से पूछते थे और सेमाइट लोग ईस्तर देवी को प्रेम कथा रक्षा की देवी मानते थे।
इना देवी  एनकिदू तथा दी मुझे तीनों की कहानी गिलमेक नामक ग्रंथ में है। हिंदी कहानी को वाला कि हम बाद में देखेंगे। सुंदर युवती मंदिर में देवदासी बनाई जाती थी लेकिन यह युवती यहां जब तक मंदिर में रहती थी तब तक ब्रह्माचार्य का पालन करती थी लेकिन इन युवतियों पर कोई पाबंदी नहीं थी कि यह लोग अपना जीवन यही बता दे यह अपने पसंद का लड़का देख कर शादी करके मंदिर से जा सकते थे लेकिन अगर आपस मंदिर में आना चाहती तो उसे वैवाहिक जीवन छोड़ कर फिर से ब्रह्मचारी के जीवन में आना पड़ता था।

➡️ जीगुरात:-सुमेरिया की सबसे बड़ी कला का विशेषता जिगरा तथा जरूरत का मतलब होता है पर्वतों पर्वतों का निवास स्थान अथवा पर्वतों का निवास यह मेरी आवासी इसे स्वर्ग की पहाड़ी भी करते थे। जिगरा तो वास्तव में एक महान होता था। जिसको पहाड़ों की चोटी पर बनाया जाता था जिसके ऊपर चढ़ने के लिए सुंदर सुंदर फूलों से सजी हुई हजारों सिन्हा बनाई जाती थी पर्वतों के ऊपर मैं यह शानदार भवन होता था जहां पर शासक रहता था भवन तक चढ़ने के लिए अनिको से रिहा बनाए जाते थे। जो जो की साड़ियां बड़ी एवं छोटी होती थी इसलिए कभी-कभी चबूतरे के आकार की भी होती थी और इन श्रेणियों को तथा भवनों को जिग रात का संज्ञा दिया जाता था। जब रात के ऊपर बने भवन में अनेक तरह का अन्य भवन भी होता था जैसे मंत्री मंडल भवन ,अन्नागार भवन, आदि भवन बने होते थे यह जीगुरात सुन्दर सीढ़ीदार होने के कारण चीकू रात को स्वर्ग का सोपान भी कहा जाता था।
                🔯  सुमेरियन वासी की लिपि एवं ज्ञान 🔯
सुमेरिया के लोगों को प्रारंभ में चित्र लिपि के माध्यम से लिखने का ज्ञान था और यह लिखने के लिए मुलायम मिट्टी के आयताकार शक्तियों का प्रयोग करते थे और लिखने के बाद धूप में सुखाकर आग के द्वारा पकाया जाता था ताकि यह तख्ती ठोस और मजबूत हो जाए। धीरे-धीरे सुमेरिया वासी ने चित्र लिपि को छोड़कर किलनुवा लिपि के द्वारा लिखने तथा पढ़ने का प्रयोग करने लगे किलनुवा लिपि को क्यूनिफार्म भी कहते थे। क्यूनिफार्म लैटिन भाषा का शब्द है। यह दो शब्दों के मेल से बना है। क्यूनिस का अर्थ होता है खूंटी फॉर्म का अर्थ होता है आकार
➡️परिस्टून अभिलेख:-यह अभिलेख अखा मनी सम्राट दारा याबूस मैं अपने अभिलेख मैं अपने विजय वृतांत के रूप में तीन प्रमुख भाषाओं में लिखवाया था यह भाषा था प्राचीन फारसी एलामी तथा अकादमी भाषा में अंकित था। यहां पर हस्ताक्षर एवं मुहरे का प्रयोग भी है। परिस्टून अभिलेख की खोज हेनरी क्रय क्विक एवं रावलिंस ने किया था यह अभिलेख बेहुस्टन की चट्टानों में लिखा गया था।
➡️विज्ञान:-विज्ञान के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी सुमेरियन वासियों को भी थी। प्रारंभ में यह लोग कैलेंडर के बारे में नहीं जानते थे वर्ष का नाम वर्क त्योहारों के नाम पर रखा करते थे लेकिन बाद में जब थोड़ी बहुत कैलेंडर के बारे में जानकारी होती है तो अब लोगों ने वर्ष 1 महीना का नाम चंद्रमा के आधार पर रखने लगे अर्थात हम कर सकते हैं चंद्र वर्ष की खोज इन लोगों ने ही किया था और चंद्रमा के कला के आधार पर महीने की भी रचना कर ली। चंद्र गणना के आधार पर 1 वर्ष में 354 से 355 दिन होते थे। लेकिन जब शोर पंचांग के बारे में सुमेरिया को पता चलता है तब वर्ष के 365 दिन होते हैं।
सिमरिया वासियों ने चंद्र गणना तथा सूर्य गन्ना के दिनों को मिलाने के लिए प्रत्येक चौथे वर्ष का एक महीना बढ़ा देते थे यानी सुमेरिया वासियों के प्रत्येक 3 वर्ष बाद चौथा वर्ष 13 महीना का होता था एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता था।
➡️ गणित पद्धति के दशमूलव और सासठीक प्रणाली की मिश्रित पद्धति की खोज इन लोगों ने की थी। सासठीक प्रणाली का मतलब होता है गणना करने के लिए केवल एक ही अक्षर का बार बार प्रयोग करना। प्रारंभ में यह एक ही प्रकार के चीन का प्रयोग गणना के लिए करते थे लेकिन बाद में  यह गणना के लिए केवल तीन प्रकार के अक्षरों का प्रयोग करते थे। जैसे कि अगर हमें एक लिखनी हो तो एक चिन्ह का प्रयोग एक ही बार करेंगे अगर चार लिखनी हो तो उसी चिन्ह का प्रयोग हम चार बार करेंगे या फिर 10 लिखनी हो तो उसी चीज का प्रयोग हम 10 बार करेंगे इसे हम सासठीक प्रणाली गणना करते हैं
हालांकि यह बाद में गणित पद्धति को विकसित करते हैं और 1 से 9 तक गणना के लिए केवल 1 ही चिन्ह का प्रयोग करते हैं
इसके बाद 10 अंक को लिखने के लिए एक विशेष प्रकार का चीन का प्रयोग करते हैं इस प्रकार से गणित की अलग-अलग संख्याओं को लिखने के लिए कुछ अलग अलग प्रकार की संख्याओं का प्रयोग सीख लेते हैं।
60 के लिए अलग विशेष प्रकार का चिन्ह का प्रयोग करते थे अगर 120 लिखना होता था तो 60 के चिन्ह को दो बार लिखते थे लेकिन 121 लिखना होता था तो साथ के चिन्ह को दो बार लिखते थे तथा एक के चिन्ह को एक बार लिखते ।
सुमेरियन लोग वजन के इकाई का प्रयोग भी करते थे और नापतोल के लिए किए जाने वाले वजन के इकाई को मीना कहते थे। सुमेरियन लोगोंं के द्वारा 3000 ईसा पूर्व के संगमरमर के पत्थर से बना हुआ मूर्ति का सिर मिला है इस मूर्ति को वर्क का सिर  कहा जाता है। यह प्राचीन विश्व के लिए मूर्तििि कला का नमूना है।
                   🔯 सुमेरियन सभ्यता की देन 🔯
➡️किलाक्षर लिपि सुमेरियन सभ्यता की देन है 
➡️ बेलनाकार मुद्राओं का प्रचलन सुमेरियन सभ्यता ने किया
➡️ विधि संहिता का जन्म सुमेरियन वासियों ने किया
➡️ सुमेरियन सभ्यता से सृष्टि एवं प्रालय की कहानियां भी प्राप्त होती है इसे हमें पता चलता है कि सृष्टि एवं प्रालय की सिद्धांत को सुमेरियन वासियों ने दिया है
➡️ पाठशाला एवं पुस्तकालय,  लोन (loan) लेन-देन, प्राचीन मंदिर एवं मूर्तियां गूगल मेहरबान का निर्माण सुमेरियन वासियों की देन है
➡️ सुमेरियन सभ्यता में विश्व का पहला प्रजातंत्र व्यवस्था देखने को मिलता है क्योंकि सभी कबीले के लोग मिलकर शासक का चुनाव करते हैं हालांकि चुनने का माध्यम प्रतियोगितात्मक होता है! जितने लोग शासक बनने की इच्छा रखते हैं सभी के बीच प्रतियोगितातमक युद्ध होता है और जो जीता था उसे राजा स्वीकार कर लेते थे इस प्रकार सुमेरियन वासियों की शासन व्यवस्था में प्रजातंत्र देखने को मिलता है
➡️ वस्तु विनिमय प्रणाली को छोड़कर सबसे पहले सुमेरियन वासियों ने वस्तु के बदले सोने चांदी के प्रयोग किया।
➡️ इतिहासकार डेविड ने कहा कि गेहूं की खेती का प्रारंभ सुमेरियन लोगों ने किया था।
बेबिलोनिया के आकाशी अन्य जातियों ने आक्रमण करके सुमेरियन सभ्यता को नष्ट कर दिया हालांकि यह खानाबदोश प्रजाति के थे लेकिन बाद में बेबीलोन के आकाश क्षेत्र में सभी जातियों का संगठन बनता है और बेबीलोन सभ्यता का उदय होता है
➡️ सुमेरियन लोगों को खोगोलियां विद्या के बारे में जानकारी थी। इसके बाद बेबीलोनियन सभ्यता का उदय होता है
                    🔯बेबीलोनियन की सभ्यता🔯
सुमेरियन सभ्यता को बेबीलोनियन के अकादन कबीले के अकादीयन का  प्रजाति ने समाप्त कर दिया। जनजाति लड़ाकू तो थे लेकिन बुद्धिमान नहीं थे तथा यह लोग खानाबदोश होने के कारण कभी भी अपना सभ्यता को विकसित करने के बारे में सोचा ही नहीं इसका फायदा बेबीलोनिया के असीरी कविले वालों को हुआ। बेबीलोनिया के असीरी कबीले वालों ने अकादीयन कविले  वालों से हाथ मिलाया और इनके ताकत और अपनी बुद्धि का प्रयोग करके बेबिलोनिया पर रहने वाले सभी जातियों को संगठित किया और सुमेरिया कथा      ➡️बेबिलोनिया पर अपनी सभ्यता स्थापित करने में सफल रहा इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बेबिलोनिया के लोगों ने संगठन बनाकर सुमेरिया जाति के लोगों को हराया।
बेबीलोनिया का नगर, बेबीलोन के क्षेत्र में था पहले बेबीलोन का क्षेत्र आमोरी क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध था क्योंकि यहां पर आमोरी जनजाति के लोग रहते थे। लेकिन बाद में जब विकसित होकर एक नगरिया रूप लिया। तो बेबीलोन वासियों ने अपने इस नगर का नाम बेबिलोनिया रख दिया। क्योंकि बेबिलोनिया लोग अपनी सरदार स्वयं चुना करते थे और उस सरदार को यह लोग आमोरी कहते थे। इस कारण से क्षेत्र का नाम आमोरी था। लेकिन जैसे-जैसे या क्षेत्र विकसित हुआ । अमोरी सरदार सुममू आबू ने इस सभ्यता विकसित किया और इस सभ्यता का नाम बेबिलोनिया सभ्यता रख दिया।
➡️हालांकि कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अमोरी सरदार सुममू आबू के पिता ने अपने कबीले का नाम आमोरी रखा था लेकिन इसका प्रमाण नहीं मिल पाता है।
बेबीलोनियन सभ्यता का संस्थापक अमोरी सरदार सुममू आबू को माना जाता है। और यह सभ्यता बेबिलोनिया नगर से ही फलने फूलने लगती है इसलिए इतिहासकार इसे बेबीलोन सभ्यता कहते हैं हालांकि बेबिलोनिया लोगों ने अपनी सभ्यता को विस्तार भी किया और अपने आस पास के सभी कबीले वालों को जीतकर अधीनता स्वीकार कर आया और यह क्षेत्र फरात और दजला नदी के मुहाने वाले क्षेत्र में स्थित था जिसके कारण उपजाऊ समृद्ध तथा हर प्रकार से कृषि योग्य था बेबीलोनियन लोगों ने अपनी राजधानी बेबीलोनिया नगर को ही बनाया और जितना दूर तक इसका साम्राज्य फैला उसे इन लोगों ने बेबीलोनियन साम्राज्य कहा। बेबीलोन कोो सुमेर भाषा में  डीगरा कहते हैं आकाश भाषा में बावड़ी में कहते हैं। तथा हिंदी भाषा में भगवान का द्वार कहते हैं
➡️ कुछ इतिहासकारों का मानना है कि आमोरी कबीला वासियों ने भी एक जीगुरात बनाया था। जिसका नाम आमोरी लोग बेबी लोन रखा इसके बाद जब आमोरी कबीला विकसित हुआ तो समु आबू के पिता ने आमोरी कबीले का नाम ही बेबीलोन ही रख दिया था। अमेरिका विला के लोग अपने आप को एमाइड वंश के बताते थे और आमोरी कबीला के सामने एक अन्य कविला था जो अपने आप को कसाइट वंश का बताता था।
इन दोनों कबीला के व्हिच संघर्ष चलता रहता था आपस में लड़ते रहते थे और अपने वंश को श्रेष्ठ बताने की प्रयास करते थे
और किस प्रकार जीत और हार की संघर्ष चलता रहता था कसाइट वंश का संस्थापक गंदाअंश को माना जाता है। हालांकि यह राजवंश सत्ता में अधिक दिनों तक नहीं रहा तो इसके कोई अधिक प्रमाण नहीं मिलता है क्योंकि एमाइड वंश अधिकांश दिनों तक सत्ता में रहा तो कसाइट वंश के साक्ष्यों को मिटा दिया और अपनी धार्मिक सांस्कृतिक तथा सामाजिक नियमों को स्थापित किया
एमाइड वंश के कई महत्वपूर्ण शासक हुए जिसका प्रमाण साक्ष्य के आधार पर मिलता है जैसे सम्मू आमू ,सुमुल , इलू मुबालित, सीन मुबारि, अपील सीन ,इमेज, आती शासक प्रसिद्ध हुए थे।हम्मूराबी भी एमाइड वंश का शासक था और हम्मूराबी का अर्थ होता है बड़ा चाचा। कसाइट वंश की जानकारी हमें कुल्लू शिलालेख मिलता है इस शिलालेख के आधार पर कासाइड वंश के लोग अशिक्षित थे लेकिन सबसेे पहले घोड़े का प्रयोग कासाइड लोगों ने किया था
कसाइट वंश के लोगों को हराकर एमाइड वंश के लोगों ने दक्षिण अफ्रीका के तरफ भेज दिया था यहां पर कासाइड वशो का लड़ाई एलम प्रजातियों से होता है इसके बाद कासाइड वन समाप्त हो जाता है। कसाई टू अंशु के शासक हम्मूराबी ने सभी विधि संहिता को एकत्रित किया और इसे संकलित करवाया था और इन सभी विधि संहिता के मिश्रित रूप के माध्यम से एक संगठित विधि संहिता का निर्माण कराया और मृदुक देवता के मंदिर में बेलनाकार स्तंभ में इस विधि संहिता को अंकित करवा दिया।
➡️ हम्मूराबी के इस विधि संहिता में 12 अध्याय 285 धाराएं । तथा 3600 पंक्तियां है। इस संहिता में व्यक्तिगत संपत्ति व्यापार बानी परिवारिक अपराध सरम दास विवाह तथा तालाब आदि के नियमों के बारे चर्चा किया गया था विज्ञान एवं आधुनिक तरीके से सुसज्जित यह पहला अभिलेख है इसके पहले कई विधि सहित बना लेकिन हम्मूराबी के इस विधि संहिता में संगठित तरीके से व्यवस्थित करके नियमों को अंकित किया गया था। इस हम्मूराबी के इस कानूनी संहिता को सबसे प्राचीन संहिता का दर्जा दिया जाता है। हालांकि बाद में एलम आक्रमणकारियों ने इस विधि संहिता को स्तंभ सहित उठा कर के सुधा लेकर चले गए थे सुधा केन्या के एक जगह का नाम था जहां एलम प्रजातियां रहा करते थे।
➡️हम्मूराबी की इस संहिता में महिलाओं के सम्मान तथा उनकी मान मर्यादा पर भी लिखा गया था मुरारी के इस संहिता में तालाक के कुछ नियम लिखे गए थे। जैसे अगर पुरुष महिला को तलाक देता है तो उसे अपनी संपत्ति में आधा हिस्सा महिला को देना होता था तथा इसके बाद भी बच्चे के आधार संपत्ति पर संपत्ति का बटवारा होता था।अगर बच्चे पिता के पास रहेंगे तो बच्चों की संपत्ति पर पिता का अधिकार रहेगा अगर बच्चे माता के पास रहेंगे तो बच्चों की संपत्ति पर माता का अधिकार रहेगा।अगर महिला पुरुष को तलाक देती है तो अपने साथ सिर्फ वही संपत्ति लेकर जाएगी जो वह अपने साथ लेकर आई थी लेकिन अगर पति पत्नी को तलाक देता है तो पति के संपत्ति में आधा अधिकार मिलता था।
अगर कोई पत्नी पति को किसी तरह का धोखा दे रही है और किसी को शक है तो अपराध को साबित करने के लिए फरात नदी पर कूदकर साबित करना होता था अगर अपराधी नदी में कूदकर मर गया तो उसे दोषी माना जाता था अगर अपराधी नहीं मारा तो उसे दोषी नहीं माना जाता था जैसा कि हमारे भारत में अग्नि परीक्षा होती थी महिलाओं की ठीक वैसे ही यह भी नियम था। 
इस विधि संहिता में दासो की स्थिति अच्छी बताई गई है। कोई भी लोग अपने स्थानीय लोगों को दास में नहीं रख सकता था दास रखने के लिए अन्य कबीला तथा विदेशों से लाया जाता था
लेकिन इस विधि संहिता के अनुसार अगर कोई दाग अथवा दासी किसी स्वतंत्र नागरिक के साथ विवाह करता था तो उसे भी दासता से स्वतंत्र कर दिया जाता था और दास हो अथवा दासी को स्वतंत्र नागरिकता मिल जाता था
         ✡️बेबीलोनियन सभ्यता की सामाजिक स्थिति✡️
बेबिलोनिया में समाज को तीन वर्गों में विभाजित पाया जाता है
1 कुलीन वर्ग:-यह प्रथम श्रेणी में आते थे तथा समाज का महत्वपूर्ण फैसला यह लोग करते थे। राजा को राजनीति में मदद करते थे इस वर्ग के लोग समाज को एक प्रकार से प्रतिनिधि के रूप में काम करते थे। हम कर सकते हैं कि कुलीन वर्ग शासक के सामंत के तरह काम करते थे कुलीन वर्ग को बेबिलोनिया वासी अविलंम के नाम से जानते थे। तथा इसे अविलंम  भी कहते थे।
2 मध्यमवर्ग:-युवक द्वितीय श्रेणी में आता था और इस वर्ग के लोगों को बेबीलोन वासी मुश्किन कहा करते थे। इस वर्ग में समाज के व्यापारी मजदूर किसान एवं कामगार वर्ग खाते थे।
3 दास वर्ग:-यह समाज में तीसरे वर्ग मैं शामिल थे तथा इसके लिए कुछ समाज ने अलग नियम था  दास वर्ग हो बेबीलियोनिया वासी आरदू  कहते थे। इस वर्क के लिए बेबीलियोनिया ही नहीं कुछ अलग नियम कानून बनाए थे जिसमें  बेबीलियोनिया की मान्यता नहीं दी जाती थी।
                ☣️बेबीलोनिया की साहित्यिक क्षेत्र☣️
➡️विश्व के प्रथम महाकाव्य बेबिलोनिया वासियों की ही देन है इस महाकाव्य कवि का नाम गिलगमेंस है। इस महाकाव्य में तत्कालीन कथाओं का वर्णन है जिस प्रकार के  हमारे भारत में रामायण और महाभारत है कहा जाता है कि इस साहित्य को गिलमेंस ने खुद लिखा है और इस साहित्य का नाम अपने ही नाम पर रखा है गिलमेंस एक बेबीलोनियन राजा था। इस साहित्य मेंंंं एक राज वंश के कथाओं का वर्णन है जोकि काल्पनिक है। गिलमेंस एरक राज वंश का राजा था जोकि पांचवा शासक बना था यह एक बुद्धिमान तथा वीर शासक था।
गिलगमेंस महाकाली को तीन कहानियां प्रसिद्ध है।
1 ईन्ना देवी की प्रेम कहानी 2 एनकीडू किसान की देवता की कहानी 3 दिमूजी गडरिया की देता की कहानी
➡️ईन्ना देवी की प्रेम कहानी: इना देवी पहले किसान के देवता एनकीडू से प्रेम करती थी।एनकीडू वीर साहसी एवं बुद्धिमान था तथा ताकतवर भी था लेकिन इसका आधा शरीर मानव एवं आधा शरीर जानवर का था । ईन्ना देवी तथा एनकीडू की शादी होने वाली थी तभी दिमू जी आकर हिना देवी को बहला-फुसलाकर शादी को रुकवा देता है और इन किलो देवता शरीर के बारे में भला बुरा कह कर शादी रुकवा देता है इसके बाद दीनू जी अपनी शादी का प्रस्ताव ईन्ना देवी से रखता है और इना देवी  और दिमुजी सादी कर लेती है इस कारण एनकीडू देवता को बहुत तकलीफ होता है और इनको  को लगता है कि मेरे साथ धोखा हुआ है। क्योंकि इना देवीीी सुंदर थीी और हिनाााााा देवी को एनकुडू भी पसंद भी प्यार करने लगा था।  
➡️एनकुडू देवता की कहानी:- गिलमेश प्रारंभ में राजा बनता है तो काफी आतंक फैलाता है इस आतंक से परेशान होकर देवताओं देवताओं ने वीर एवं साहसी देता गिलमेश को हराने के लिए भेजता है इन दोनों के बीच में युद्ध होता है इसके बाद यह युद्ध कई वर्षों तक चलता है लेकिन फैसला नहीं हो पाता है अंत में समझौता हो जाता है और दोनों फिर आपस में संधि कर लेते हैं इसके बाद गिलमेश तथा एनकुडू के बीच मित्रता हो जाती ।
➡️ दिमुजी देवता की कहानी:-एक दिन देते पाताल लोक से होते हुए इना देवी के घर से गुजर रहे थे तभी दैत्यों ने इन्ना देवी के प्रिय  वृक्षों को नष्ट कर दिया तथा कुछ वृक्षों को साथ लेकर जा रहे थे इन वृक्षों के फल फूल एवं पत्तियों से ईन्ना देवी श्रृंगार करती थी तभी गिलमेश ने वृक्षों को देशों के चुंगल से बचा लिया
इस कारण ईन्ना देवी बहुत खुश होती है। देवी को इस वृक्षों से बहुत लगाव था और देवी इन वृक्षों के साथ नाच गान  लेकिन देवीी देवी के बजानेेेे वाले यंत्र को दैत्यों ने अपने साथ पाताल लोक लेेे गए थे। जब इस बात का पता गिलमेश चलता है। तो गिलमेश पाताल लोक जाता है और देवी के बजााााने वाले यंत्र को दैत्यों को मार कर छीन लेता है लेकिन इसके बाद फिर से पृथ्वी लोग आने का रास्ता गिलमेष भूल जाता है और काफी वर्षों तक वह पृथ्वी लोग नहीं आता है इन्ना देवी गिरीश का इंतजार करते करते थक जाती है लेकिन वर्षों तक नहीं आता है तभी गिलमेश मित्र के एनकुडू ने एनकी देवता को पता लोग जाने की आज्ञा देता है क्योंकि इनकी देवता ही पताल लोक जा सकता था। लेकिन इनकी रहता किसी कारणवश नहीं जा पाता तब इनकी नेता ने सूर्य देवता को पाताल लोक जाने की आज्ञा देता है तभी सूर्य देवता ने पृथ्वी लोक तथा पाताल लोक के बीच में एक छिद्र कर देता है जिससे   पुनः पृथ्वी लोग आ जाता है। इसके बाद इना देवी गिल मेष की वीरता और सुंदरता से प्रभावित एवं मोहित हो जाती हैं और अपने प्रेम के जाल को सभी प्रकार से बिछाती  है तथा हर प्रकार से प्रलोभन देती है लेकिन गिलमेश इना देवी के प्रेम जाल में नहीं पड़ता है क्योंकि इसकोोोोो पता रहता है कि यह देवी एक बार एनकुडू देवता को धोखा देेे चुकी है। जब देवी केेे जाल में गिलमेश नहीं फंसतााााााााा है तो देवी की को बहुत गुस्सा आता है और देवी ने क्रोधित होकर स्वर्गग से वृषभ देवता को भेजता है ताकि गिल्म इसको मार सके।
इस कारण इन दोनों के बीच काफी वर्षों तक युद्ध होता है अंत में वृषभ देवता मारा जाता है इनके मरने केे बाद स्वर्ग्ग्ग में काफी हलचल मच जाता है और देवताओं ने गिलमेष तथा एनकुडू देवता इन दोनो को अभिशाााप देता है। यह दोनों क्षय रोग से मर जाएंगे इस अभिशाप के कारण एनकुडू देवतााा मर जा हैताााा गिलमेस  भी बीमार रहने लगता है। लेकिन गिलमेस देवता अमर होना चाहता है और अमरत्व की खोज और इधर उधर भटकने लगता है तभी इसको पता चलता है कि समुद्र के पास पृथ्वी की अंतिम सीमा पार ज्यूसमुद्र नमक एक अमर मानव रहता है तब यह इससे मिलने की इच्छा जताता है और समुद्र के पास जाना चाहता है लेकिन रास्ते में बहुत सी ➡️कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि अमर मानव की सेवा में विशाल एवं भयानक जीव जंतु एवं पर्वत थे जिसमें से सबसे प्रमुख था वश्चस मानव। यह मानव तो नहीं था लेकिन मानव के तरह व्यवहार करता था।वश्चस मानव के धड़ मानव के जैसा था परंतु सिर पक्षी का और इसकी भुजाएं बिच्छू के डंक के थे यह बेहद खतरनाक था और यह अमर मानव ज्यूसमुद्र की रक्षा करता था। गिलमेस इन कठिनाइयों के पार करते हुए ज्यूसमुद्र से मिला तो उसने अमर होने के बारे में पूछा तो इस ने बताया कि अब समुद्र के अंदर चले जाइए वहां पर आपको अमृत्व का पौधा मिलेगा उसे खा लेंगे तो आप अमर हो जाएंगे जब गिलमेस समुद्र के अंदर जाता है तब उस पौधे को उठाकर बाहर ले आता है और सोचता है कि अपने राज्य में जाकर खाएंगे और उस पौधे को लेकर के जाने लगता है तभी रास्ते में इसे प्यास लगती है और इसी समय जंगल में एक तालाब दिखता है तभी गिलमेस पानी पीने के लिए तलाक के सामने जाता है और पौधा को रखकर पानी पीने लगता है इसी समय इस पौधे को एक सांप ने खा लिया। इसे देखकर गिलमेस को बहुत दुख होता है। लेकिन सर्फ अमर हो जाता है
इस प्रकार बेबीलोनिया के ग्रंथों के मान्यताओं के अनुसार अशरफ को ओवर मानते हैं और यह लोग सिर्फ की पूजा करते हैं बेबीलोनियन के लोगों को मानना है कि सर्फ प्रजाति अमर है और पृथ्वी के सभी जातियों के अंत के बाद इसकी मृत्यु होगी बेबीलोनियन 65000 देवी देवताओं को मानते थे या नहीं यह बहूदेव वादि थे। एनकी देवता का पुत्र मृदूक देवता । तथा ईस्तर देवता एवं तनुज देता नवजीवन का प्रतीक माना जाता था।   अनु - आकाश का देवता था। समस-सूर्य देवता था।  
 वेल- पृथ्वी देता था। निंगल -चंद्र देवता की पत्नी थी!  
 मृदु क- बृहस्पति देखा था ! नेवी - बुध देता था। 
 निरगल - मंगल देवता था। सीन - सोम देता था 
एस्तर - शुक्र देवता था।
यानी हम कह सकते हैं कि विभिन्न एलियन वासी सभी ग्रहों को देता के रूप में पूजा करते थे और सभी ग्रह के बारे में जानते थे मृदुल देवता को सर्वोच्च दे वता मानते थे।
           ☣️बेबीलोनिया निवासी के शिक्षा व्यवस्था ☣️
 बेबीलोनियन वासी शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत आगे थे यहां पर शिक्षा के लिए विद्यालय तथा स्कूल भी बनाया गया था एक विद्यार्थी की पुस्तक पर लिखा था। एक विद्यार्थी के पुस्तक में एक मुहावरा लिखा था और लिखा था कि जो सुंदर लेख लिखने में निपुण प्राप्त करेगा वह सूर्य के समान चमकेगा।  ➡️बेबीलोनियन वासी को खोले ज्ञान के बारे में भी बहुत कुछ पता था यहां के लोग इस विज्ञान में भी सबसे आगे थे। 1 वर्ष 12 महीने में विभक्त था 6 माह 30 दिन के होते थे और 6 माह 31 के दिन के होते थे। 1 वर्ष 354 दिन का होता था प्रत्येक चौथा वर्ष के बाद बोलो मांस आता था जो वर्ष 13 महीना का होता था। इस प्रकार चंद्र वर्ष और सूर्य वर्ष का बेरी समान होता था। 4 सप्ताह बराबर एक महीना होता था 1 दिन के 12 घंटे होते थे।
राजनीतिक क्षेत्र में राजत्व को देवत्व की भावना का विकास यहीं से देखने को मिलता है मंत्री परिषद में मंत्रियों को अलग अलग विभाग सौंपने की शुरुआत बेबीलोनियन सभ्यता से ही हुई है विश्व इतिहास में सबसे पहले नजरों तथा प्रांतों का मानचित्र बनाने का कला भी यहीं से प्रारंभ हुआ नग खूब विज्ञान तथा बैंक व्यवस्था का जनक दाता बेबीलोनियन वासी को ही कहा जाता है मापन प्रणाली को भी उन्होंने विकसित किया और इन लोगों ने दूरी को नापने के लिए लंबाई नमक इकाई का भी प्रयोग किया जिसका उपयोग आज हम करते हैं।
अब बेबीलोनियन सभ्यता के बारे में पढ़ाई समाप्त होती है अब हम असीरियन सभ्यता के बारे में पड़ेंगे।
                ☣️असीरियन की सभ्यता☣️
यह सभ्यता में मेसोपोटामिया  उत्तरी भागों में विकसित होता है और यह सभ्यता दजला नदी पर आश्रित रहता है असीरियन वासी भी समेंटिक प्रजाति के लोग थे तथा बेबीलोन के क्षेत्र से ही आए थे मगर बेबीलोनियन तथा असीरियन लोगों का धर्म एवं संस्कृति अलग अलग था। दोनों ही लोग अलग-अलग देवी-देवताओं को मानते थे। इस समेंटिक जाती के लोगों ने अपने कबीले तथा राज्य का नाम इन लोगों ने सीरियन तथा अपनेेेे प्रमुख  देवता। इन लोगों का प्रमुख देवता असुर था और इनके जितने भी देता हुए सभीीी का नाम असुर से ही प्रारंभ होता था।
सुमेरियन कथा बेबीलोन सभ्यता के पतन के बाद असीरियन सभ्यता के लोग अपने प्रभाव दिखाने लगे सभ्यता के रूप में सामने आए हैं इसकी भी अनेक शासक हुए जिसके बारे में हम पढ़ेंगे इस सभ्यता के साथ सद्गुरु तथा निर्दय हुए हैं क्षेत्रों के लोगों को हाथ ना पता पैर काट कर छोड़ देते थे।
➡️असुर बनीपाल:-यह असीरियन सभ्यता के महान एवं वीर शासक हुए इस सभ्यता में सबसे अधिक जानकारी उसके बारे में मिलती है और असीरियन सभ्यता के स्वर्णकाल के नाम से किसके शासनकाल को जाना जाता है । असीरियनसभ्यता की राजधानी निनवे थी। जो  कि बाद में विदेशी आक्रमणकारियों ने स्थानी कबीले वाले की मदद से इस राजधानी को नष्ट कर देते हैं। इसके बाद कमजोर शासक आने के कारण धीरे धीरे पूरा साम्राज्य समाप्त हो जाता है असीरियन सभ्यता के लोग क्रूर निर्दय आतंकी कहने के बाद भी यह लोग महिलाओं को सम्मान की भावना से देखते थे। हम कर सकते हैं कि असीरियन सभ्यता में महिलाओं की इज्जत होती थी लेकिन यह लोग विद्युत क्षेत्रों की महिलाओं के साथ बलात्कार किया करते थे यहां के लोग महिलाओं को सम्मान के साथ तो देखते थे लेकिन महिलाओं को स्वतंत्रता नहीं थी जैसे कि यहां की महिलाओं को पर्दा प्रथा का पालन करना होता था लेकिन वेश्या दास तथा वादियों को घुंघट लगाने पर कोई प्रतिबंध नहीं था यानी यह लोग बिना पर्दा प्रथा का पालन किए भी रह सकते थे लेकिन अगर कोई भी महिला किसी वेश्या को लेकर सड़क पर जा रही है तो उसे घूंघट अथवा पर्दा प्रथा का पालन करना होता था और अगर इस पर्दा प्रथा का पालन नहीं होता था तो उस महिला को दंड दिया जाता था हम कह सकते हैं कि पर्दा प्रथा का जन्म असीरियन सभ्यता में हुआ है हालांकि कई इतिहासकारों का ऐसा ही मानना है
➡️ महान का इतिहासकार प्रोफ़सर ओम स्तिंड
कहां है कि पर्दा प्रथा की शुरुआत असीरियन सभ्यता से ही हुआ है। असीरियन सभ्यता में महिलाओं को रानी भी बनाया जाता था और कुछ अधिकारी पद में भी रखा जाता था। नाकिया तथा शिनीरामीस इस सभ्यता की प्रसिद्ध रानियां हुई है यहां पर अपना स्वतंत्र कानून चलता था इन लोगों का अपना स्वतंत्र विधि संहिता भी है यहां पर न्याय शरीर के अंगों को काटकर किया जाता था नाक कान हाथ पर अधिकार कर  लोग न्याय करते थे और अगर छोटा अपराध में भी पकड़े जाता था कॉलेज से पीटा जाता था तथा जुर्माना भी लगाने का प्रावधान था यहां के लोग अपराधी को पीड़ित करने को ही न्याय मानते थे लेकिन अपराधी को पीड़ित व्यक्ति ही दंड दे सकता था और मृत्युदंड इस सभ्यता की आम बात हो गई थी इन लोगों का मुख्य देवता असुर था असुर का शाब्दिक अर्थ होता है शुभचिंतक या हितेषी। असीरियन वासी असुर की असुर की पत्नी को ललित देवी के नाम से जानते थे।
➡️ यह लोग साम्राज्यवादी नीति पर भरोसा रखते थे इसी के कारण यहां से पहली बार विश्व विजय करने की योजना के प्रमाण मिलते हैं सीरिया के लोग अपना साम्राज्य विस्तार को परम कर्तव्य मानते थे और इसी के कारण इसका साम्राज्य का विनाश भी होता है इन लोगों ने नियमित राष्ट्रीय सेना का गठन भी करते हैं इसका प्रमाण इसके साक्ष्यों से मिलता है । असीरियन सभ्यता के लोगों ने युद्ध कला को वैज्ञानिक रूप दिया तथा इन लोगों ने प्रति रक्षात्मक युद्ध प्रणाली को जन्म दिया इस । सभ्यता से घोड़े पर चढ़कर शस्त्रों का प्रयोग युद्ध में करने का प्रारंभ किया गया वैज्ञानिक तरीके से लोहे और रक्त किस सिद्धां यहां की सभ्यता से प्रतिपादन हुआ है। इस सभ्यता मैं भी सबसे प्रमुख व्यवसाय कृषि भी था यानी यहां की व्यवसाय कृषि प्रधान थी और यह लोग प्रत्येक वर्ष के प्रथम दिन एक धार्मिक उत्सव मनाते थे। और उत्सव के नाम पर वर्ष का नाम रखते थे क्योंकि यह परंपराओं को मानते थे हालांकि खगोल विज्ञान एवं कैलेंडर के बारे में इन लोगों की भी जानकारी थी इस उत्सव का नाम तथा उत्सव की घोषणा शासक के एक खास मंत्री द्वारा किया जाता था जिसको लिंबू कहा जाता था।
➡️सेना केरीब:- यह असीरियन सभ्यता का शासक था। जो इतिहासकारों के अनुसार इस सभ्यता का सबसे खतरनाक शासक हुआ इसने बेबीलोन को अपने साम्राज्य में मिलाया और विध्वंस कर दिया इसमें सबसे पहले चांदी के सिक्के खुदवा कर चलाया और अपने साम्राज्य को सबसे ज्यादा विस्तार किया इसने लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया इसमें दया नाम का कोई शब्द नहीं था। लोगों को तड़प तड़प कर मरने के लिए उसके हाथ पैर काट देता था और छोड़ देता था।
➡️असुर बनीपाल दितीय:-इसने अपनी राजधानी को निनवे में से स्थानांतरित कर कलखी बना लिया। तथा इसलिए अपने पूर्वजों से मिले सभी धरोहर को सुरक्षित रखने का काम करने लगा जिसने मेसोपोटामिया के सभी राजवंशों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को सीरिया में सुरक्षित करवाया तथा गिलमेस नामक विख्यात बेबीलोनियन महाकाव्य की जानकारी भी इसी के शासनकाल से मिलती है। विश्व की सृष्टि का राज समझाने वाला साथ शक्तियों का अभिलेख नहीं असीरियन सभ्यता से मिलता है
                         ☣️ कैलडीयान सभ्यता☣️
सभ्यता प्राचीन मेसोपोटामिया की अंतिम सभ्यता है असीरियन सभ्यता के पतन के बाद इस सभ्यता का उदय होता है इतिहासकार मेसोपोटामिया की सभ्यता का चौथा और अंतिम चरण इस सभ्यता को मानते हैं 
कबीला काप्राचीन नाम असीरियन भाषा में कल्दी  कहा जाता है तथा  कल्दी एक जाति भी है जो कि सिमेटिक जाति का एक सखा थी । इन लोगों ने अपने आप को विकसित करके एक सभ्यता का निर्माण किया ।इस कारण इस सभ्यता का नाम के लिए खड़ा था। सभ्यता में कुछ महान राजा हो गई जिसके बारे हमें जानकारी मिलती है जैसे 
➡️नेबुकें डिजर:- ये सभ्यता के प्रमुख एवं प्रसिद्ध शासक हुए। इसने अपनी प्रतिभा से पूरे साम्राज्य को एकत्र करने की योजना बनाई लेकिन सफल नहीं हो पाया इसने अपनी मूर्ति अपनी पत्नी अथवा राजरानी अमितिस के साथ बनाया है रानी अमितिस इसकी पत्नी थी। जिसको यह बहुत प्यार करता था।
ये मेजीज के राजा स्थक्सी रिज की बेटी थी। मेसोपोटामिया की गर्मी रानी को बर्दाश्त नहीं हो रहा था और रानी को बहुत ज्यादा परेशानी होती थी इसलिए इस शासक ने अपनी पत्नी के लिए झूलते हुए बाग का निर्माण कराया । इस बगीचे के द्वार में अपना और अपनी पत्नी की  विशाल मूर्ति का निर्माण निर्माण कराया। यह बगीचा महिलाओं पर आधारित छतों पर लगाया गया है जिसे हम झूलता हुआ बगीचा के नाम से जानते हैं और इसे प्राचीन विश्व के सात आश्चर्य में शामिल किया गया है।
➡️कैनेडियन सभ्यता के लोगों ने समय के इकाई में कुछ संशोधन किया इसने सप्ताह के 7 दिनों को तथा दिन को 12 घंटे में एवं 1 घंटे को 120 मिनट में बांटा। हालांकि यह पद्धति बेबिलोनिया के लोगों ने भी अपना ही थी लेकिन उसके पास कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता है और यह लिखित प्रमाण यहां के लोगों के पास मिलता है।
इन लोगों ने अपनी सभ्यता का निर्माण तो कर लिया परंतु मजबूत शासक नहीं होने के कारण धीरे-धीरे यह सभ्यता कमजोर होता गया और 540 ईसा पूर्व को भारत के महान शासक साइरस ने इस सभ्यता को जीत लिया और इसके बाद मेसोपोटामिया की सभ्यता का अंत हो गया
किस प्रकार मेसोपोटामिया के क्षेत्र में एवं सभ्यता की स्थापना होती है।


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